Breaking News

जानिए शरीर में किस विटामिन की कमी हैं ​|





आजकल हर व्यक्ति अधिक पौष्टिक् और अच्छा भोजन खाना पसंद करता हैं। मगर आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे भोजन में किसी ना किसी प्रकार की कोई कमी रह ही जाती है। जिससे हमारे शरीर में अनेक रोग और समस्याएं आने लगती हैं। वैसे तो सभी विटामिंस हमारी सेहत के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं। मगर विटामिन बी12 एक ऐसा तत्व माना गया हैं। जिसकी कमी शरीर को बहुत नुकसान होता हैं। यह विटामिन हमारी कोशिकाओं में पाए जाने वाले DNA की मरम्मत व उनको बनाने में कई प्रकार की सहायता करता हैं।

विटामिन बी12 ब्रेन स्पाइनल कॉर्ड जैसे मुख्य तत्वों की रचना करने में मुख्य माना जाता हैं। यह शरीर के सभी हिस्सों के लिए अलग अलग प्रोटीन बनाने के कार्य को पूरा करने में भी सक्षम है। यह विटामिन बी12 लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी सहायक हैं। यह ऐसा विटामिन हैं जिसका अवशोषण हमारी आंतो के द्वारा किया जाता हैं।


अगर हमारे हाथ पैरों में झनझनाहट और थकान होती हैं तो शरीर में कौन सी विटामिन की कमी हैं। और इसकी कमी के क्या कारण हैं। ये सारी जानकारी आज हम आपको देगेा।
1.पहली कमी आनुवांशीकता को माना गया हैं। पहले जिस तरह आप के परिवार के किसी सदस्य को यह प्रॉब्लम हैं तो इससे आप भी गृषित हो सकते हैं।
2.आपके आंतों में पहले कोई सर्जरी हुई हैं तो भी इसका मुख्य कारण हो सकता हैं।
3.क्रोनजस जैसी गंभीर बीमारियों के कारण ही आंतें विटामिन बी12 का अवशोषण नहीं कर पाती।
4.अगर किसी व्यक्ति में एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी लंबे समय तक रहती हैं। तो उसमें भी बी12 की कमी होती हैं।
5.एनीमिया और डायबिटीज के मरीज मेटफार्मिन दवा काफी समय तक लेने से भी विटामिन बी12 खत्म होने लगता हैं।

 विटामिन बी12 की कमी के लक्षण
1.हाथ पैरों में जलन व झनझनाहट जैसी समस्या उत्पन्न होना।
2.याददाश्त का कमजोर होना सिर दर्द होना अत्यधिक थकान महसूस करना आदि प्रमुख लक्षण हैं।
बचाव व उपचार के उपाय
हमारे शरीर में अगर यह लक्षण दिखाई देता हैं। तो हमें तुरंत विटामिन बी12 की जांच करवानी चाहिए।
कई लोग इन लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसके कारण यह बीमारी ​बहुत बड़ा रूप धारण कर लेती हैं। यह हमारे लिए हानिकारक साबित होने लगती हैं।
शाकाहारी लोगों को अपने खान—पान में अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्हें दूध से बनी चीज़ों का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए। बता दें कि एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इसकी मात्रा 400 से 500 मिलीमीटर होना जरूरी है इस बीमारी का पता अगर समय रहते हो जायें तो हम दवाई और खान—पान के द्वारा दूर कर सकते हैं।